माँ तो बस माँ हैलबोँ पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होतीबस एक माँ है जो मुझसे खफा नहीं होती॥तमाम उम्र सलामत रहे दुआ है मेरीहमारे सिर पे हैं जो हाथ बरकतोँ वाले।माँ के आगे यूँ कभी खुलकर नहीं रोनाजहाँ बुनियाद हो इतनी नमी अच्छी नहीं होती।मुझे भी उसकी जुदाई सताती रहती हैउसे भी ख्वाब में बेटा दिखाई देता है।ऐ अँधेरे! देख ले, मुँह तेरा काला हो गयामां ने आँखें खोल दीं, घर में उजाला हो गया।इस तरह मेरे गुनाहोँ को वो धो देती हैमाँ बहुत गुस्से में होती है तो रो देती है।घेर लेने को मुझे जब भी बलाएँ आ गईंढाल बनकर सामने माँ की दुआएँ आ गईं।मेरी ख्वाहिश है कि फिर से फरिश्ता हो जाऊँमां से इस तरह लिपट जाऊँ कि बच्चा हो जाऊँ।माँ तुम्हारे जाने के बादआता नहीं याद,मैं कितना रोया, किसकी गोद सोया,नखरे छूटे, जिद भी भूला,टूटा पालना, फिर न झूला।मेरे शिल्पी ने लौदा छोड़ा,वक्त ने उसको जीभर तोड़ातुम होती, तो जाने क्या होताहाँ ये तस्वीर रंगीन होतीऔर जिंदगी भी।है न???अश्क अर्जी लगते हैंकि ये लम्हे मुसलसल होंकि बच्चे जब खुलकर हँसते हैंतो माँओं की आँखें भीग जाती हैं॥मेरी कोशिश जिसे मुश्किल समझ के छोड़ देती हैमाँ की सोच उसे सुलझाने वहाँ तक दौड़ जाती हैगजब का हुनर है कि पढ़कर मेरा चेहरालफ्ज़-दर-लफ्ज़ माँ सबका सब बोल जाती है॥यकीनन तो कभी सख्त पिता की तरह लगती हैतभी तो माँ की डाँट दुआ की तरह लगती हैखुदा में बस थोड़ा अहसास माँ सरीखा हैऐसा नहीं कि माँ खुदा की तरह लगती है॥दुनिया में बस एक ही खूबसूरत बच्चा है। और वह हर माँ के पास है।बच्चे के साथ ही जन्म लेती है माँ। पहले वह थी ही कहाँ? वह तो स्त्री ही थी। माँ का दर्जा तो उसे बच्चे से ही मिलता है।